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Women's Day Special - Poems by Women




गर्भ की करुण प्रार्थना


मत मारो मुझे अपने गर्भगृह में "मां"

मुझे एक बार तो बाहर आने दो, बनके किलकारी अपने आंगन में एक बार तो मुझे हंसने गाने दो,


लोगों की बातों में आकर ना कुचलना मेरे अरमानों को,

एक बार तो इस दुनिया को मेरा अक्स दिखला ने दो,


मत मारो मुझे अपने गर्भ स्थल में "मां "

मुझे एक बार तो बाहर आने दो,


नहीं चाहिए मुझे भैया जैसी सुख सुविधाएं,

मुझे अभाव में ही पल जाने दो,


दे दो मेरे भैया को सब कुछ,

मुझ में बस सांसे रह जाने दो,


मत मारो मुझे अपने गर्भ गृह में "मां"

मेरा जन्म मेरा अस्तित्व बस आप के कारण है "मां" मुझे अपनी पहचान बनाने दो,


आप ममता का सागर हो ,

एक बूंद तो मुझे बस पी लेने दो, आप की ममता की अमृत धारा में मुझे भी बह जाने दो,


"मां"

मत मारो मुझे एक बार तो मुझे बाहर आने दो,


मां

जीवन मिल गया मुझे तो मैं भी जीवन में कुछ कर पाऊंगी,


नहीं देगा साथ जब भैया तब मैं ही तो आपका साथ निभाऊंगी, आपके घर में रहकर आपका हाथ बटाऊंगी,


ना मांगूंगी अपना अधिकार, चुपचाप आप जहां ब्याहोंगे वहां चली जाऊंगी,


दो घरों को रोशन करके एक दुनिया प्यार की में भी बसाऊंगी, ना मांगूंगी अधिकार अपना,

चुपचाप आप जहां ब्याहोंगे वहां चली जाऊंगी दो घरों को रोशन कर के एक दुनिया प्यार की में भी बसाऊंगी,


मां

आपकी मां ने भी यदि यही सोच लिया होता,

तो आप जीवन कहां से पाते, आपके भी सपने में "मां" मिट्टी में मिल जाते,


आपके बिना जीना मेरा हो सकता साकार नहीं,

अस्तित्व का मेरे आपके बिना कोई आधार नहीं,


पापा यदि यह कह भी दे तो यह बात समझ में आती है,

पर मां बनकर आप एक हत्यारी बन जाओ यह बात मैं समझ नहीं पाती हूं,


"मां "

हो आप भगवान का वरदान हो, जीवन में मुझे जीवनदान दो,

" मां "

हो मुझे जीवनदान दो।


🙏🏻💐 स्वरचित कविता

डॉ टीना राव( राजस्थान)


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